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कोरोना महामारी, नई शिक्षण विधियां और नए अनुभव

  मानव के लिए महामारी कोई नई चीज नहीं है। मानव सभ्यता के विकास के साथ-साथ महामारी का इतिहास भी जुड़ा हुआ है। यूरोप, अमेरिका, एशिया, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया आदि सभी महादेश समय-समय पर कई महामारी की चपेट में आते रहे हैं तथा इसका असर बहुत समय तक रहा है। मलेरिया, हैजा, प्लेग, खसरा, काली खांसी, चेचक जैसी अनेक महामारियों ने मानव के जीवन को बहुत गहराई तक जाकर प्रभावित किया है। महामारी से मानव का संघर्ष निरंतर चल रहा है। वर्ष 2019 के अंतिम दिनों में दुनिया के सामने एक और महामारी का प्रकोप सामने आया। मार्च 2020 तक आते-आते दुनिया का अधिकांश भाग इस महामारी से प्रभावित हो चुका था। भारत भी इससे अछूता नहीं रह सका। सब ओर लॉकडाउन लगाए जाने की घोषणा होने लगी, जिससे लोग कहीं अधिक संख्या में एकजुट ना हो सकें तथा इस महामारी के प्रकोप से बचाव आसानी से किया जा सके। मार्च का महीना था। परीक्षा का माहौल था। 10वीं और 12वीं की परीक्षाएं चल रही थीं। इसी समय देश में लॉकडाउन की घोषणा होती है और सबकुछ जैसे थम-सा जाता है। लोग भयभीत भी होते हैं और सतर्क भी।  1 अप्रैल से नए सत्र की शुरुआत भी होनी थी। लॉकडाउन होने की वजह से